व्यूज़ 24 (ब्रज किशोर शर्मा - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: ताज नगरी में एक ऐसा प्ले स्कूल है जहां कूड़ा-करकट बटोर कर पेट की आग बुझाने वाले गरीब बच्चे हाईटेक हो जाया करते हैं। यहां बच्चों को एक अच्छे प्ले-स्कूल के माहौल में हाई क्लास फैमिलीज के बच्चों की तरह पाया जाता है। यह स्कूल है आवास-विकास क्षेत्र में स्थित सुदर्शन स्कूल "सपनों का महल"। आज हम आपको बताते हैं कि कैसे किलकारी से यह स्कूल कुछ घंटों के लिए सुदर्शन स्कूल सपनों का महल में बदल जाता है? आपको बता दें कि आगरा के आवास विकास सेक्टर 6 में स्मृति चाहर किलकारी प्ले ग्रुप स्कूल चलाती हैं स्कूल में आने वाले हाई क्लास फैमिली के बच्चों की पढ़ाई के बाद स्मृति अपने अपने ग्रुप का नाम बदल देती है और दोपहर बाद इस प्ले ग्रुप का नाम सुदर्शन स्कूल सपनों का महल हो जाता है इसके बाद यह दूसरों के घरों में काम करने वाले और कूड़ा करकट बटोर कर आजीविका चलाने वाले मासूम बच्चे पढ़ाई करते हैं यहां पढ़ने आने के लिए इन गरीब बच्चों को कोई फीस नहीं देनी पड़ती है और उन्हें कॉपी किताब ड्रेस और महीनों में दो बार मेडिकल सुविधा सिर्फ इसलिए दी जाती है ताकि वह आराम से पढ़ सकें सुदर्शन स्कूल की स्थापित स्मृति 4 के अनुसार जब उन्होंने किलकारी प्ले करो शुरू किया तो स्कूल के बाहर दो गरीब मासूम लड़कियां आ जाती थी और स्कूल एक्टिविटीज देख नाचने गाने लगती थी उन बच्चों की पढ़ाई की ललक देखकर उन्होंने दोनों को ड्रेस और किताबें मुहैया कराई और सभी बच्चों के साथ पढ़ाई करवाना शुरू किया गरीब बच्चों के हाईप्रोफाइल परिवारों के बच्चों के साथ पढ़ने पर परिजन शिकायत करने लगे कि इन बच्चों के साथ रहने से उनके बच्चे बीमार हो रहे हैं इसके बाद स्मृति पीछे नहीं हटना चाहती थी इसलिए उन्होंने प्लेग्रुप की छुट्टी होने के बाद 12:30 बजे से 2:30 बजे तक ऐसे गरीब बच्चों के लिए सुदर्शन स्कूल सपनों का महल की शुरुआत की 2 साल के छोटे से सफर में सुदर्शन दो बच्चों से शुरू होकर 70 बच्चों के स्कूल के रूप में नजर आने लगा 2 साल से यहां रोजाना 12:30 बजे सुदर्शन स्कूल का बैनर लग जाता है और गरीब बच्चों की क्लास शुरु हो जाती है स्कूल में इन बच्चों का खर्च पूरा करने के लिए जो कमाई किलकारी प्ले ग्रुप से होती है उसका इस्तेमाल किया जाता है इसके साथ ही स्कूल की कुछ सिखाएं चैरिटी के तौर पर पड़ा जरूर देती है।
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