ऐतिहासिक, भव्य-दिव्य और अनुशासित आयोजन के साथ संपन्न ‘सनातन राष्ट्र’ का "शंखनाद महोत्सव"!

- ऊपर चित्र में - बाईं ओर से सर्वश्री राज शर्मा, जयेश थली, रमेश शिंदे, अभय वर्तक, नारायण नावती, जयंत मिरींगकर और मनोज गावकर।

वैन (गोवा ब्यूरो - 28.05.2025) :: 17 से 19 मई 2025 के बीच गोवा में सम्पन्न ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ एक ऐसा दुर्लभ आयोजन सिद्ध हुआ, जिसने राष्ट्रीय स्तर पर आध्यात्मिकता, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम की चेतना को अभूतपूर्व रूप से जाग्रत किया। यह तीन दिवसीय ऐतिहासिक महोत्सव ‘न भूतो न भविष्यति’ की कहावत को साकार करता है। वास्तव में ‘सनातन राष्ट्र’ का प्रामाणिक शंखनाद हुआ है, ऐसा वक्तव्य सनातन संस्था के प्रवक्ता अभय वर्तक ने समारोपीय पत्रकार परिषद में दिया।

वर्तक ने बताया कि गोवा के इतिहास में पहली बार भारत सहित 23 देशों से 30,000 से अधिक लोगों की उपस्थिति में इतना भव्य, आकर्षक और नियोजित कार्यक्रम आयोजित हुआ। अनेक विचारकों, प्राध्यापकों, उद्योगपतियों, संपादकों, लेखकों, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों ने इसे ‘अद्वितीय’ बताया। समाज में इस प्रकार का महोत्सव प्रतिवर्ष आयोजित करने की तीव्र मांग उठ रही है।

फोंडा, गोवा स्थित ‘पॅन अरोमा’ होटल में संपन्न पत्रकार परिषद में गोवा राज्य पूर्व चुनाव आयुक्त नारायण नावती, उद्योजक मनोज गावकर, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे, उद्यमी जयंत मिरिंगकर, ब्राह्मण महासंघ के राज शर्मा तथा गोमंतक मंदिर महासंघ के सचिव जयेश थळी उपस्थित थे।

इस महोत्सव की विशेषताएं अत्यंत विलक्षण रहीं – ऋषियों और देवताओं के नाम से सुसज्जित ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले नगरी’ की सर्जना; संत, व्याख्याता, लेखक और राष्ट्रहितैषियों की प्रभावशाली उपस्थिति; 30,000 लोगों के लिए उत्तम भोजन व्यवस्था; एक लाख श्रद्धालुओं को महाधन्वंतरि यज्ञ का प्रसाद; पंद्रह संतों की पावन पादुकाएं; क्षात्रतेज से ओतप्रोत शिवकालीन शस्त्रप्रदर्शन; भक्तिभावपूर्ण नृत्य व संगीत प्रस्तुति; सुचारू यातायात व्यवस्था के कारण स्थानीय जनजीवन पर कोई प्रभाव न पड़ना, इन सभी ने इस महोत्सव को अविस्मरणीय बना दिया।

महोत्सव के उत्तरार्ध में सम्पन्न ‘शतचंडी यज्ञ’ विशेष रूप से भारत-पाक युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना की विजय हेतु किया गया। इस अवसर पर सनातन संस्था ने सेना सहायता हेतु ₹1,11,000 की राशि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को भेंट की।

महोत्सव में संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले के पावन हस्तों से 4 प्रतिष्ठित व्यक्तियों को ‘हिंदू राष्ट्ररत्न’ सम्मान तथा 21 व्यक्तियों को ‘सनातन धर्मश्री’ सम्मान प्रदान किए गए। ‘सव्यासाची गुरुकुलम्’ की ओर से शिवकालीन युद्धकला का प्रदर्शन, हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा स्वसंरक्षण प्रात्यक्षिक और महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा भक्ति संगीतोत्सव प्रस्तुत किया गया। इससे अनेक लोगों को प्रेरणा प्राप्त हुई।

देश-विदेश से आए हज़ारों श्रद्धालुओं के कारण गोवा के मंदिरों और ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा भी बढी, जिससे ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’ को विशेष बल मिला। महोत्सव के माध्यम से यह संदेश सशक्त रूप से गया कि ‘गोवा भोगभूमि नहीं, अपितु योगभूमि है।’

इस सफल आयोजन में गोवा शासन, पुलिस प्रशासन, गोवा इंजीनियरिंग कॉलेज, स्थानीय जनप्रतिनिधि, ग्राम पंचायतें, पत्रकार, उद्योगपति तथा सेवाभावी संस्थाओं का सक्रिय सहयोग अत्यंत सराहनीय रहा। विभिन्न आध्यात्मिक, सामाजिक और राष्ट्रहितैषी संस्थाओं के सहभाग के लिए हृदय से आभार।

‘शंखनाद’ की यह संकल्पना अब राष्ट्रभर में चेतना का संचार कर रही है। महोत्सव से ‘राष्ट्रीय एकता’, ‘भारतीयता’, ‘आध्यात्मिक ऊर्जा’, ‘सांस्कृतिक गौरव’ और ‘शौर्य’ का सशक्त उद्घोष हुआ। अनेक विशिष्ट व्यक्तियों एवं सामान्य नागरिकों ने इसे प्रतिवर्ष आयोजित करने की मांग की जो इस आयोजन की सफलता का प्रमाण है।

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