व्यूज़ 24 (ब्रज किशोर शर्मा - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: कहते हैं कि बुढ़ापे में औलाद भी साथ छोड़ देती है और इंसान बेसहारा होकर जगह-जगह ठोकर खाता है। लेकिन आगरा में बेज़ुबान जानवर बकरों की ऐसी बानगी देखने को मिली जो अपने मालिक की गाड़ी को खींचकर कर्तव्य तक पहुंचाते हैं। आगरा में एक बुजुर्ग ऐसा भी है जो कि अपनी ढलती उम्र में बकरो को ही सहारा बना बैठा है। बुजुर्ग का कहना है कि यह बकरे नही मेरे जीवन का सहारा हैं। यह मेरे बिना रह नहीं सकते इसी कारण मैं इनको अपने साथ ले जाता हूं साथ ही मेरा भी सहारा हो जाता है।
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