निरीक्षण के समय "आल इज़ वेल" वाली व्यवस्था के बाद फर्श पर पड़ी करहा रही प्रसूताएं

वैन (सोमेन्द्र अवस्थी - महोली (सीतापुर), उत्तर प्रदेश) :: अफसरों के निरीक्षण में "ऑल इज वेल" दिखाने वाले जिम्मेदार, हकीकत में जनता को कैसी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं ये जानना है तो महोली सीएचसी आ जाइए। यहां सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है। सोमवार को सभी सीएचसी-पीएचसी पर छापेमारी की सूचना मिलने पर स्वतंत्र हित की टीम महोली सीएचसी पहुंची। जहां का नजारा देख होश उड़ाने वाला था। सीएचसी में प्रसव के बाद महिलाओं को शिफ्ट करने के लिए अगल से 20 बेड का अस्पताल बना है, लेकिन यहां प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को बेड मयस्सर नहीं हो रहे हैं। ये हाल तब है जब सरकार से लेकर प्रशासन तक जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रयासरत हैं। महोली सीएचसी परिसर में तीन प्रसूताएं अपने नवजात शिशुओं के साथ फर्श पर लेटने को मजबूर थीं। पूछा गया तो बोली कि अस्पताल में बेड नहीं दिए गए। ऐसे में हम लोग बाहर लेटने को मजबूर हैं। हालांकि, इस सीएचसी की ये तस्वीर कोई पहली नहीं है बल्कि आए दिन इस तरह की तस्वीरें यहां के लिए आम हैं। प्रसूताएं फर्श पर पड़ी रहकर कराहती रहती हैं, लेकिन यहां के अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार चौधरी समेत पूरा स्टाफ पसीजता ही नहीं। निरीक्षण में ओके, बाद में फेल है व्यवस्था।

सीएचसी के अधीक्षक और यहां का पूरा स्टाफ मनमानी कर सरकार की साख पर बट्टा लगा रहा है। अफसरों के निरीक्षण में सबकुछ चाक-चौबंद नजर आता है और उसके कुछ देर के बाद फिर से हालात पुराने ढर्रे पर लौट जाते हैं। सोमवार को ही यहां पर एसडीएम महोली शशि भूषण राय ने औचक निरीक्षण किया था, जिसमें सबकुछ ठीक मिला। उसके चंद घंटों के बाद इस तरह के हालात यहां पर सबकुछ सही होने के संकेत नहीं दे रहे हैं।

सवालों के घेरे में अधीक्षक की भूमिका।

सीएचसी अधीक्षक मानते हैं कि इसमें स्टाफ नर्सों की लापरवाही है, लेकिन फिर सवाल उठता है कि वह कार्रवाई करने से क्यों कतरा रहे हैं? ऐसे में कहीं ना कहीं उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

देखना दिलचस्प होगा कि स्टाफ नर्सों की लापरवाही बताने वाले अधीक्षक उन पर कोई कार्रवाई करेंगे या फिर ऐसे ही व्यवस्था और राज्य सरकार की इज्जत पर बट्टा लगाते रहेंगे?

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