पानी के लगातार गिरते स्तर के बीच ''मेरा पानी - मेरी विरासत'' योजना शुरू

- धान की खेती ना करने की किसानों से अपील

- सबसे ज्यादा मुनाफा देती है धान की फसल

- गुरुग्राम, पटोदी के गांव मऊ में 100 फीसदी किसानों ने किया पंजीकरण

- पानी के स्तर को रोकने के किसानो का साथ

- विरासत बचाने के लिए नुकसान से भी नहीं डर रहे किसान

वैन (सूरज दूहन - गुरूग्राम, हरियाणा) :: पूरा देश इस वक्त जहां कोरोना नामक बिमारी लड़ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा एक पानी की किल्लत से जूझता हुआ नजर आ रहा है, जिसको लेकर हाल ही में हरियाणा सीएम मनोहर लाल ने किसानों से अपील की थी, जिसके तहत एक योजना शुरू की गई, जिसमें सीएंम ने किसानों से धान की फसल ना करने का आग्रह किया जिसके बाद उन्हें 7,000 रूपये वायदा किया, आपको बता दें कि किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा धान की फसल में ही होता है लेकिन धान की फसल करने से धरती में पानी का स्तर गिरता है।

जिससे की स्पष्ट है कि अगर इसी तरह पानी की कमी हुई तो आने वाले समय में आगामी पीढी को पानी नहीं नसीब होगा। जिसको ध्यान में रखते हुए सीएम ने ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ नामक योजना शुरू की,और किसानों से इसके लिए पंजीकरण कर इस पहल में भाग लेने की बात की। इसी के तहत अब पटोदी के गांव मऊ में किसानों ने धान को 100 फीसदी नकार दिया है, और धान को छोड़ सभी किसान कपास, सब्जियां, मक्के और ज्वार की फसल कर रहे हैं। आपको बता दें कि किसानों को सबसे ज्यादा फायदा धान की फसल में ही होता है लेकिन अब गांव मऊ के किसान अपने पानी को बचा कर विरासत को सुरक्षित करना चाहते हैं।

यहां पर किसानों का सरकार से बस इतना आग्रह है कि जहां हम सीएम साहब के कहने पर और अपनी विरासत को बचाने के लिए अपना नुकसान करने के लिए तैयार है तो वहीं सरकार जल्द से जल्द योजना के तहत 7000 रूये की राशि किसानों को दे दे, जिससे की उनका हौसला बुलंद रहे और वो अपने राष्ट्र को बचाने में आगे भी सहयोग देते रहे।

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