वैन (अरविन्द शर्मा - कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश) :: कानपुर देहात-जिले के रसूलाबाद में ग्राम प्रधान की शह पर सचिव ने आवास देने के बहाने एक बेबस मजबूर दलित महिला को अपनी हवस का शिकार बना डाला। दरअसल मजबूर दलित महिला सरकारी आवास पाने के लिए प्रधान और सचिव की चौखटों के चक्कर काट रही थी। आरोप है कि उसकी बेबसी और लाचारी का फायदा उठाते हुए प्रधान ने दलित महिला को सरकारी कार्यालय में बुलाया। इसके बाद दलित महिला को अंदर भेजकर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। वह चीखती चिल्लाते रहम की भीख मांगती रही लेकिन अंदर मौजूद वहशी ग्राम सचिव ने जोर जबरदस्ती कर दलित महिला की आबरू लूट ली। पुलिस ने प्रधान और सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन दोनों आरोपी अभी पुलिस की गिरफ्त से दूर हैं। न्याय पाने के लिए पीड़िता कानपुर देहात के रसूलाबाद थाने में खड़े होकर अपने साथ हुई वहशताना दास्तान बयां कर रही है। दरअसल रसूलाबाद कोतवाली क्षेत्र के सुंदरपुर गजेन गांव की रहने वाली इस दलित महिला की सरकारी कार्यालय में अस्मत लूटी गई। आरोप है कि अस्मत लूटने वाले कोई आम शख्स नही, बल्कि सचिव विकास बाबू हैं और इस खेल में गांव के प्रधान अरुण अवस्थी ने सचिव विकास बाबू का बखूबी साथ दिया है। दरअसल ये दलित महिला प्रधानमंत्री आवास पाने के लिए सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रही थी। जिसका फायदा ग्राम प्रधान के खूब उठाया। सचिव विकास बाबू को खुश करने के लिए दलित महिला को प्रधान अरुण अवस्थी ने सरकारी कार्यालय बुलाया और कहा साहब हैं, ये तुम्हे सरकारी आवास दे देंगे। बस इतना कहकर प्रधान ने बाहर से दरवाज़ा बन्द कर दिया। अंदर सचिव विकास बाबू थे। दलित महिला खुशी खुशी बोली कि साहब कहां दस्तखत कर दूं तो साहब ने अश्लीलता के शब्द परोसे। इस पर दलित महिला भौचक्की रह गयी। बस फिर सचिव साहब उस पर शिकारी बनकर टूट पड़े। दलित महिला चिल्लाती रही, लेकिन सचिव विकास बाबू को तरस नही आया और सचिव विकास बाबू ने दलित महिला की सरकारी कार्यालय में इज्जत तार तार कर डाली। इसके बाद बदहवास हालत में दलित महिला रसूलाबाद थाने पहुंची और अपने साथ हुई वारदात को बयां किया, लेकिन आरोप है कि रसूलाबाद पुलिस ने मुकदमा लिखने के बजाए थाने से बैरंग लौटा दिया। ये सिलसिला लगभग एक सप्ताह चलता रहा, लेकिन रसूलाबाद पुलिस का दिल नही पसीजा। रसूलाबाद पुलिस ने मुकदमा लिखना तो दूर की बात दलित महिला की एनसीआर तक दर्ज नही की। क्योंकि मामला रसूखदार प्रधान और सचिव के खिलाफ था। लिहाज़ा दलित महिला ने जब ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों से फरियाद की, तब मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन आरोपी ग्राम प्रधान और सचिव अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं।
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