क्यों मुँह पर कपडा बांधकर पढ़ रही हैं गुरुग्राम के स्कूल में बेटियां...???

व्यूज़ 24 (सूरज दुहन - गुरुग्राम, हरियाणा) :: हरियाणा सरकार एक तरफ "बेटी बचाओ - बेटी पढाओ" का नारा देती है तो दूसरी तरफ गुरूग्राम में बेटियाँ कूड़े के ढेर की बदबू के बीच क्लास में मुँह पर कपडा बांधकर पढने को मजबूर हैं।

बेटियों को पढ़ाने और बढ़ाने के लिए सरकार ने करोड़ों रूपये खर्च दिखाकर तमाम योजनाओं की पब्लिसिटी पर जोर तो दिया लेकिन बदहाल स्कूलों की दुर्दशा को नजर अंजाज कर दिया, जहां बच्चे शिक्षा प्राप्त करने जाते हैं। गुरूग्राम में अब बेटियों को मुँह पर कपड़ा बांधकर पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा हैं। विडिओ में आप देख सकते हैं साइबर सिटी गुरूग्राम का गर्ल्स सीनियर सैकेंडर स्कूल जैकबपूरा जहां करीब 2 हजार छात्राएं पढ़ने आती हैं लेकिन ये पढाई कम बल्कि बदबू से परेशान ज्यादा परेशान हैं। गुरूग्राम के इस स्कूल के बाहर कूड़े का ढ़ेर लगा दिया है। जिससे समय-समय पर निगम के कर्मचारी उठाते तो हैं लेकिन इस बीच पूरे स्कूल में कूडे की बदबू ज्यादा होती है। साथ ही जहां ये कूडा डला हुआ है उससे पूरी बदबू क्लास रूम के अंदर तक जाती है। जिसकी वजह से यहां की छात्राओ को मुंह पर कपडा बांधकर यहां से गुजरने के साथ क्लास रूम में भी मुंह पर कपडा लगाना पडता है।

ऐसा नही हैं कि इसकी जानकारी यहां के प्रशासन को नही हैं, बल्कि स्कूल की प्रिंसिपल ने जिला उपायुक्त से लेकर निगम के अधिकारियों तक कई बार लिखित में शिकायत भी दी है। उसके बाद भी बदबू वाले स्कूल की हालत वैसी ही बनी हुई है। जिसकी वजह से अब स्कूल की छात्राओं ने भी सरकार के "बेटी पढाओ बेटी बचाओ" के नारे पर सवाल उठाने शुरू कर दिये हैं। इन छात्राओं का कहना है कि अगर प्रदेश की बेटियां ऐसी गंदगी और बदबू वाले स्कूल में पढेंगी तो बढ़ेंगी कैसे? क्योकि इस गंदगी की वजह से कुछ छात्राएं बीमार भी पड़ चुकी हैं, लेकिन गुरूग्राम प्रशासन ने बदबू वाले स्कूल की तरफ देखने की बजाय आंखें ही बंद कर ली हैं।

छात्राओं का कहना है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो फिर जल्द ही वो स्कूल छोड़ देंगी। क्योकि इस बदबू वाले स्कूल से अच्छा है कि वो घर बैठकर पढ़ाई करें या फिर बीमार होने से तो अच्छा है कि अनपढ़ ही रह लें।

अब देखना यह होगा कि क्या गुरूग्राम की बेटियों की इस आवाज का प्रशासन पर कोई असर पडता है या फिर सरकार की "बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ" योजना को ऐसे ही प्रशासनिक अधिकारी हवा-हवाई रखते हैं?

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