धरने पर बैठे अन्नदाता किसानों की जान की परवाह नहीं कर रहे प्रशासन और राजनेता

वैन (सुनील अरोड़ा - आगरा, उत्तर प्रदेश) :: यह भारत के किसान की असली हकीकत है कि किसान राजनीतिक पोस्टरों पर अन्नदाता के नाम से जाना जाता है और उनके नाम पर सरकारें बनती और बिगड़ जाती हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। ऐसा ही एक मामला आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इसमें किसान अपनी जायज मांगो को लेकर पिछले 36 महीनों यानी लगभग तीन साल से धरने पर बैठे हैं। अब अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे कई किसानों की जान पर बन आयी है।

एक किसान श्रीचन्द निवासी गंगरौया तो पिछले साल 11 अक्टूबर को पूर्व एसडीएम सदर के आदेश पर हुए लाठीचार्ज में पेर पर लाठी लगने से घायल हो गया था उसके पैर में गैंगरीन फैल गया है। आगरा के डॉक्टरो ने आगरा में इलाज नही हो सकता बोल कर अपना पीछा छुड़ा लिया है जबकि उस किसान की जान का खतरा लगातार बना हुआ है।

सही इलाज ना होने और आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के चलते गैंगरीन से पीड़ित किसान दिन रात धरने पर ही बैठ गया है। यह देखकर प्रशासन में खलबली मच गई है। एसडीएम सदर गरिमा सिंह ने धरना स्थल पर पहुंच पीड़ित किसान को सही इलाज के लिए एस.एन भेजने की बात कही लेकिन किसान नेताओं और अन्य किसानों ने एस.एन में सही इलाज ना होने और कई बार बिना इलाज के बाहर निकाल देने के चलते विरोध जताया।

एसडीएम सदर के पीड़ित को लखनऊ भेज इलाज कराने के आश्वासन पर किसान राजी हुए। पीड़ित किसान को प्रशासन ने अपने खर्चे पर एसजीपीजीआई हॉस्पिटल लखनऊ भेजा, लेकिन वहां भी किसान के साथ मजाक हुआ। पैसे के अभाव में पीड़ित किसान को डॉक्टरो ने डिस्चार्ज कर दिया। पीड़ित किसान श्रीचन्द अपने विकलांग बेटे नरेंद्र के साथ पेड़ के नीचे बैठ गया। हॉस्पिटल से बाहर निकाले जाने की सूचना पर भारतीय किसान यूनियन के आगरा प्रभारी किसान नेता राजवीर लवानिया ओर धरने के संचालक कृपाल सिंह फौजदार कई किसानों के साथ देर रात लखनऊ पहुँचे। उन्होंने एसडीएम सदर से वार्ता की, तो आगरा डीएम ने आर्थिक मदद के लिए एसडीएम सदर को कहा एसडीएम ने किसान के इलाज के लिए चालीस हजार रुपये भिजवा दिए ओर पीजीआई में फोन कर दुबारा भर्ती करवाया ओर फ्री इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड बनाने की कही, लेकिन सही इलाज ना होने और किसान की आर्थिक सिथति दयनीय होने के चलते परेशान किसान वापिस आगरा आ गया। किसान श्री चंद के मुताबिक पूरे पेर में गैंगरीन फैल चुका है। एक सप्ताह की दवाइयों में 3 से 4 हजार का खर्चा आ रहा है। किसान के पुत्र नरेंद ने बताया कि वह ओर उसके भाई मजदूरी कर अपने पिता का इलाज करवा रहे है, कुछ मदद भारतीय किसान यूनियन के नेता कर रहे है। उधर किसान नेताओं का कहना है कि प्रशासन मदद कर रहा है डीएम आगरा ने किसान की हर संभव आर्थिक मदद करने का आश्वासन दिया है।

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