चट्टान गिरने से मरे कांवड़ियों के गांव में नहीं चढ़ेगी कोई कांवड़, पंचायत ने सुनाया फरमान

- कोसली कावड़ियों पर पहाड़ टूटने का मामला

- कोसली गांव की पंचायत ने लिया फैसला

- शिवरात्रि पर गांव में नही चढ़ाई जाएगी कावड़

- जो कावड़ आएगी वह गांव की सीमा से बाहर स्थित मंदिरों चढ़ाने का लिया निर्णय

- गत दिवस ऋषिकेश में चट्टान गिरने से चार कावड़ियों की हुई थी मौत

- 9 कावड़िये अभी भी अस्पताल में लड़ रहे है जिंदगी की जंग

- अचानक से कावड़ियों की गाड़ी पर पहाड़ टूट कर गिरा पड़ा था

- 22 जुलाई को कोसली से हरिद्वार रवाना हुए थे सभी कावड़िये

- कांवड़ लेकर लौटते वक्त हुआ यह दर्दनाक हादसा

वैन (कोसली - हरियाणा) :: ये सूनी पड़ी गलियां, एक साथ जलती चार-चार चिताएं और रोते बिलखते परिजन। जी हां, कुछ ऐसा ही मातम का नजारा है रेवाड़ी के कोसली गांव का जहां कुछ खुद को अभागे कहने वाले लोग हैं। जिनमे से किसी का बेटा, तो किसी का पति, किसी का पिता बड़ी श्रद्धा के साथ हरिद्वार और गौमुख से कावड़ लेने गए थे। लेकिन रविवार को लौटते वक्त ऋषिकेश के पास हुई लैंड स्लाइडिंग के दौरान एक बड़ी चट्टान उनके वाहन पर गिरने से चार कावड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि आठ गम्भीर रूप से घायल हो गए। मरने वाले चारों कावड़िये कोसली गांव के थे। जैसे ही इन चारों के शव आज गांव में पहुंचे तो गांव में मातम छा गया और इस दुःखद खबर के बाद पूरे गांव में किसी के घर चूल्हा तक नहीं जला। इतना ही नहीं गांव के अन्य कावड़ियों ने भी इस दुखद हादसे के कारण अपनी कांवड़ रास्ते मे ही छोड़ दी या जो जहां था वहीं मंदिरों में चढ़ा दी।

इस संदर्भ में स्थानीय निवासियों और कोसली विधायक व मृतको के परिजनों का कहना है कि हादसे के बाद किसी घर मे चूल्हा नहीं जला और गांव में मातम का माहौल है। इन्होंने कहा कि आजादी के बाद गांव का यह पहला हादसा है जिसमे प्राकृतिक प्रकोप में एक साथ चार कावड़ियों की दर्दनाक मौत हो गई और कई अन्य अभी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस हादसे को कभी भुलाया नही जा सकेगा। सभी ने दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना की और गांव में इस बार कोई कांवड़ ना चढ़ाने का पंचायत ने फरमान सुनाया। उन्होंने कहा कि अगर कोई कांवड़ आएगी तो वह गांव में नहीं अपितु गांव के बाहर वाले मंदिरों में चढ़ाई जायेगी।
ब्यूरो - राजीव मेहता

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