दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित शिवकथा का आनन्द उठा रहे भक्त

- शिवकथा में तृतीय दिवस की कथा में आत्म विभोर हुए भक्त

वैन (सुनील अरोड़ा - आगरा, उत्तर प्रदेश - 16.11.2022) :: दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित सात दिवसीय शिव कथा का आवास विकास कॉलोनी के जानकी पार्क में आयोजन किया जा रहा है। बुधवार को तृतीय दिवस का शुभारंभ मंचासीन साध्वी समाज द्वारा भगवान की स्तुति एवं सुमधुर भजनों से किया गया।

कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास *"साध्वी लोकेशा भारती"* जी ने कथा में भगवान के अर्धनारीश्वर रूप का बहुत ही सुंदर वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव एवं मां जगदंबा का अर्धनारीश्वर भगवान एवं शक्ति का घोतक है, जहां शिव कण-कण में समाए परमात्मा की ओर इशारा करते हैं एवं मां जगदंबा संसार में व्याप्त शक्ति का प्रतीक है। भगवान जो जन-जन से अनन्य प्रेम करते हैं, वहीं पर उनका अपार प्रेम अपनी शक्ति से भी है। भगवान शिव ने सभी देवी-देवताओं के समक्ष अपने अर्धनारीश्वर के रूप को प्रकट किया। उन्होंने मार्गदर्शन करते हुए कहा कि - भगवान का अर्धनारीश्वर का रूप हमें यह समझाता है कि इस संसार में जहां नारी का स्तर, उसका महत्व इस संसार में गिर रहा है, उसको संसार में कहीं ना कहीं छोटा समझा जाता है, कहीं से हमें कन्या भ्रूण की खबर मिलती है कहीं दहेज के लिए बहुओं की बलि चढ़ा दी जाती है, कहीं नारी का शोषण है, कहीं असुरक्षा, कहीं नारी अपमानित होती हैं, परंतु भारत भूमि एक ऐसी श्रेष्ठ भूमि है जहां देवताओं का उदघोष रहा है - ' यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता' - जहां नारियों की पूजा अर्थात सम्मान होता है, वही देवी-देवता निवास करते हैं।

उन्होंने कहा कि आज के वर्तमान समय में नारियां- पुरुष से कहां पीछे हैं। हर पड़ाव पर -चाहे राजनीति है, अंतरिक्ष है चाहे कोई भी वर्ग है नारी पीछे नहीं है, आज समाज में नारियों को समान स्तर दिलाने के लिए अनेक कानून लगा तो दिए गए हैं परंतु इतने नियम- कानून लगने के बाद भी नारी का स्थान वही का वही है। फिर समाज में समानता कैसे आएगी, वह समानता बाहरी नहीं भीतरी ज्ञान अर्थात ब्रह्म ज्ञान से आएगी, क्योंकि ब्रह्म ज्ञान मात्र बाहर से जागृति प्रदान नहीं करता अपितु वह तो विवेक के पंखों को खोल देता है। महिषासुर का मर्दन मां ने दिव्य- दृष्टि से किया, इसी प्रकार हमारी अज्ञानता रूपी महिषासुर का मर्दन दिव्य दृष्टि अर्थात- ब्रह्म ज्ञान से होगा। जब समाज में अज्ञानता का समापन होता है तभी समाज सुंदर, संतुलित व नवीन बन पाता है, हम सभी को अर्धनारीश्वर का रूप बताता है। शिव कथा को सुनने के लिए सैकड़ो भक्तजन मौजूद रहे और शिव कथा का रसपान किया।

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