वैन (रामा शंकर प्रसाद - पटना, बिहार) :: श्रीमदभागवत कथा का सात दिवसीय आयोजन श्रीकृष्णा नगर, रोड नं 14 के पार्क मे शुरू आज विधिवत प्रारम्भ हुआ। श्रीमद भागवत कथावाचक आचार्य समदरसी महाराज इसे संपन्न करेंगे। आज के इस आयोजन में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भी पहुंचे। कथा के आयोजन कर्ता प्रदीप उपाध्याय ने कहा कि यह आयोजन 22 दिसंबर तक चलेगा। यह धार्मिक उत्सव स्वयं को जानने और मन के सारे संतापों को दूर करने का एक सुअवसर है। श्रीमद्भागवत कथा सनातन धर्म के 18 पवित्र पुराण हैं, जिनमें एक भागवत् पुराण भी है। इसे श्रीमद्भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। यह जगत के पालक श्रीविष्णुजी के धरती पर लिए गए 24 अवतारों के साथ उस दौरान उनके जीवन की कथा का भावपूर्ण वर्णन है। 12 खंडों के इस ग्रंथ में 335 अध्याय तथा 18 हजार श्लोक हैं। इसके 10वें अध्याय में श्रीकृष्ण का जीवन सार कुछ इस प्रकार वर्णित है कि यह समस्त प्राणियों के लिए सांसारिक जीवन जीते हुए ज्ञान तथा मुक्ति का मार्ग दिखाता है। श्रीमद्भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों ही मुक्तिदायिनी है तथा आत्मा को मुक्ति का मार्ग दिखाती है। भागवत पुराण को मुक्ति ग्रंथ कहा गया है, इसलिए अपने पितरों की शांति के लिए इसे हर किसी को आयोजित कराना चाहिए। इसके अलावा रोग-शोक, पारिवारिक अशांति दूर करने, आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली के लिए इसका आयोजन किया जाता है। श्रीमद्भागवत कथा जीवन-चक्र से जुड़े प्राणियों को उनकी वास्तविक पहचान करता है, आत्मा को अपने स्वयं की अनुभूति से जोड़ता हैं तथा सांसारिक दुख, लोभ-मोह- क्षुधा जैसी तमाम प्रकार की भावनाओं के बंधन से मुक्त करते हुए नश्वर ईश्वर तथा उसी का एक अंश आत्मा से साक्षात्कार कराता है। भागवत कथा का आयोजन करने तथा सुनने के अनेक लाभ हैं - इसे सुनने मात्र से हजारों अश्वमेघ यज्ञ आयोजनों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग जैसे तीर्थों की यात्रा से भी अधिक पुण्यकारी है भागवत कथा का पाठ या इसे सुनना। इसे सुनने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे सुनने वाले पर स्वयं श्रीहरि विष्णु की कृपा रहती है, इसलिए उसके जीवन की सभी समस्याओं का निवारण होता है। जगत के पालनहार की कृपा दृष्टि मिलने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं तथा जीवन में प्रगति, खुशहाली तथा समृद्धि के द्वार खुलते हैं। इसे आयोजित कराने तथा सुनने वाले व्यक्तियों-परिवारों के पितरों को शांति तथा मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति को सभी प्रकार के पितृ-दोषों से निजात दिलाता है। इस कथा को सुनने मात्र से व्यक्ति के जीवन से जुड़ा हर दोष नष्ट होता है, उसकी नकारात्मकता जाती रहती है और हर प्रकार से वह सकारात्मक हो जाता है। उसे स्वास्थ्य, समृद्धि मिलती है तथा भाग्य में वृद्धि होती है। इसे सुनने के क्रम में आत्मिक ज्ञान की प्राप्ति करते हुए आप सांसारिक दुखों से निकल पाते हैं। मनोकामना पूर्ति होती है। इस कडाके की ठंड में भी श्रोताओं का काफी भीड़ देखने को मिला।
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