Menu
वैन (राज ठाकुर राजावत - मथुरा, उत्तर प्रदेश) :: यमुना की दुर्दशा केन्द्र सरकार की नमामि गंगा योजना में मथुरा में श्रीकृष्ण भगवान की पटरानी कहे जाने वाली यमुना आज कई दशकों से प्रदूषण की चपेट से ग्रसित है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु-जन तीर्थ नगरी ब्रज में होने वाले उत्सवों पर सम्मलित होने के लिए बृज में आकर यमुना में स्नान कर अपने को धन्य मानकर होने बाले उत्सवों को मनाते हुए बृज में बने ऐतिहासिक पुरातत्व मंदिरों के दर्शनों के आनंद का अनुभव महसूस करते हैं। परन्तु जब स्थानीय व श्रद्धालु यमुना में स्नान करने का मन बनाता है तो यमुना में गंदगी को देख श्रध्दालुओं की भावना आहत हो जाती हैं। इस यमुना के प्रदूषण को रोकने के सरकारों ने काफी प्रयास भी किये और समय समय पर यमुना में होने बाले प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए करोड़ों की धनराशि भी यहाँ के प्रशासन को उपलब्ध कराई परन्तु आज तक यही समझ में नहीं आया कि यमुना को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए जो करोड़ों की धनराशि सरकार द्वारा प्रशासन को उपलब्ध कराई जाती है। फिर यमुना प्रदूषण से मुक्त क्यों नहीं हो पा रही है। अगर यमुना प्रदूषण से मुक्त नहीं हो पाई तो आने बाले समय में यमुना का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा यह गन्दा नाला कहलायेगा सुनने में आता है कि प्राचीन काल में भगवान श्रीकृष्ण की इस पावन बृज में दूध की नदियों बहा करती थीं जो आज के दौर में यमुना में शहर की गंदगी यमुना में बह रही है। प्रदेश के इस मथुरा जनपद में मंत्री और विधायकों की भरमार है लेकिन इनमें से एक भी जनप्रतिनिधि यह मन बनाले कि यमुना महारानी को स्वच्छ और निर्मल बनाना है तो उनके लिए दिल्ली और लखनऊ का रास्ता दूर नहीं और यमुना को प्रदूषण से मुक्ति दिलाना संभव है। यमुना माँ भी कई दशकों से प्रदूषण से ग्रसित होकर आंसू बहाते हुए उसी दिन के इंतजार में है कि एक ना एक दिन तो कोई ऐसा मेरा लाल पैदा होगा जो मुझे इस शहर की गिरने वाली गंदगी और प्रदूषण से मुक्त करायेगा। मगर अफसोस; लाल पैदा भी हो गए और राजा भी बन गए मगर माता यमुनोत्री को प्रदूषण और खनन माफियाओं से मुक्ति दिलाने में कोई रुचि नहीं दिखाई। यहां इशारा भारत के प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुखिया की ओर है।
On Fri, Mar 29, 2024