हिन्दू राष्ट्र की आवाज बुलंद करने वाली हिन्दू जनजागृति समिति!

वैन (दिल्ली ब्यूरो - 27.09.2022) :: 7 अक्टूबर 2002 आश्विन शु. प्रतिपदा अर्थात नवरात्रि की घटस्थापना के मंगल दिवस पर देवताओं का अनादर रोकने के उद्देश्य से हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई । हिन्दू जनजागृति समिति धर्मजागृति, धर्मशिक्षा, हिन्दू संगठन, धर्मरक्षा एवं राष्ट्ररक्षा, इन सूत्रों को सामने रखकर अविरत कार्य कर रही है । वास्तव में देखा जाए, तो एक संगठन के रूप में 20 वर्षाें की समयावधि एक महत्त्वपूर्ण चरण है । भगवान की कृपा से इन दो दशकों की अवधि में राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे अनेक आघात तोड डालने में, साथ ही अनेक आघातों की तीव्रता अल्प करने में समिति को सफलता मिली है । जिस समय ‘हिन्दू राष्ट्र’ शब्द का उच्चारण करना भी साहसपूर्ण था, ऐसे काल में विरोधियों की चिंता न कर समिति ने हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष किया । व्याख्यान, सम्मेलन, विचारगोष्ठी, लेख, परिचर्चा, ग्रंथ आदि माध्यमों से हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना को सुस्पष्टता के साथ समाज मानस तक पहुंचाने का प्रयास किया । आज यत्र-तत्र सर्वत्र हिन्दू राष्ट्र की चर्चा हो रही है । ‘हिन्दू राष्ट्र पर चर्चा’ कराने में समिति का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

1. धर्मरक्षा : हिन्दूद्वेषी चित्रकार म.फि. हुसैन ने कला के नाम पर हिन्दू देवी-देवताओं तथा भारतमाता के नग्न और अश्लील चित्र बनाए थे । समिति ने हुसैन के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आंदोलन खडा कर उसके विरुद्ध 1250 से अधिक पुलिस थानों में परिवादें प्रविष्ट कीं । इसके फलस्वरूप हुसैन को भारत छोडकर इस्लामी देश कतर भागना पडा । केवल इतना ही नहीं, अपितु समिति ने लोकतांत्रिक पद्धति से म.फि. हुसैन द्वारा बनाए गए चित्रों की सैकडों प्रदर्शनियां बंद करवाई हैं । लक्ष्मी बम पटाखों के विरुद्ध जागृति लाकर समिति ने पटाखों पर देवताओं और राष्ट्रपुरुषों के चित्र नहीं होने चाहिए; इसके लिए अभियान चलाया । उसके अतिरिक्त फिल्मों तथा दूरचित्रवाहिनी पर प्रसारित होनेवाले धारावाहिकों, नाटक, विज्ञापन, वेब सीरिज आदि माध्यमों से होनेवाला देवताओं का अनादर रोकने के सफल अभियान चलाए । इसमें ‘यदा-कदाचित्’, ‘बिघडले स्वर्गाचे दार’ जैसे मराठी नाटक; ‘गल्लीत गोंधळ दिल्लीत मुजरा’, ‘सिंघम रिटर्न्स’, ‘गुरुपूर्णिमा’ आदि फिल्मों; साथ ही ‘द लव गुरु’ जैसे हॉलीवुड की फिल्मों का समावेश है । कुछ दिन पूर्व ‘एक्जॉटिक इंडिया’ तथा ‘एमेजॉन’ ने श्रीकृष्ण एवं राधा का अत्यंत अश्लील चित्र बिक्री के लिए रखा था, जिसका तीव्रता से विरोध होने से उसे दोनों ही जालस्थलों से हटाया गया । अनादर करनेवाली वस्तुओं की बिक्री करनेवाले ‘एमेजॉन’ जैसे प्रतिष्ठानों के विरुद्ध भी समिति ने लोकतांत्रिक पद्धति से लडाई लडकर देवताओं का हो रहा अनादर रोकने में सफलता प्राप्त की है।

2. हिन्दू विरोधी कानूनों का विरोध : समिति ने राष्ट्र एवं धर्म पर आघात करनेवाले काले कानूनों का भी तीव्रता से विरोध किया । समिति के तीव्र विरोध, साथ ही व्यापक जनजागरण के कारण महाराष्ट्र के साढे चार लाख मंदिरों पर मंडरा रहा सरकारीकरण का संकट टल गया और मंदिर सरकारीकरण कानून पारित नहीं हो सका । इसके अतिरिक्त हिन्दुओं के धर्माचरण पर आक्रमण करनेवाले काला जादू कानून के मसौदे में स्थित 27 में से 15 हिन्दूविरोधी धाराएं हटानी पडीं।

3. राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन : राष्ट्र एवं धर्म पर हो रहे आघातों के विरुद्ध समिति विगत 10 वर्षाें से सडक पर उतरकर भी लोकतांत्रिक पद्धति से ‘राष्ट्रीय हिन्दू आंदोलन’ चला रही है । इन आंदोलनों के कारण हिन्दूसंगठन साध्य होकर देशविरोधी घटनाओं पर भी अंकुश लगा है । आतंकवाद की सीख देनेवाले हिन्दूद्वेषी डॉ. जाकिर नाइक के ‘इस्लामिक रिसर्च फाऊंडेशन’ संगठन पर लगाया गया प्रतिबंध, नाइक के ‘पीस टीवी’ के प्रसारण पर लगाया गया प्रतिबंध, इस्लामी देशों के पीडित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता मिलने की प्रक्रिया का आरंभ आदि सूत्र इन आंदोलनों की फलोत्पत्ति के रूप में बताए जा सकते हैं।

इसी प्रकार से घुसपैठिए रोहिंग्या मुसलमानों को भारत से निकालना, बंगाल के हिन्दुओं को उनकी परंपरा के अनुसार दुर्गा विसर्जन करने का अधिकार मिलना, हिन्दू नेताओं की हत्या, अवैध मस्जिदें और अवैध पशुवधगृहों का विरोध जैसे हिन्दू हित के अनेक विषयों पर समिति ने आंदोलन चलाए हैं।

4. धर्मजागृति से संबंधित उपक्रम : धर्मजागृति होने से ही धर्मरक्षा हो सकती है । इस दृष्टि से समिति ने धर्मजागृति के अनेक उपक्रम चलाए । जब सर्वधर्मसमभाव की भ्रामक संकल्पना के कारण ‘लव जिहाद’ की वास्तविकता समाज को स्वीकार नहीं हो रही थी, तब समिति ने धडल्ले से ‘लव जिहाद’ के विषय पर व्याख्यानों, लेख, ज्ञापन, पीडित लडकियों का समुपदेशन आदि के माध्यम से समाज में जागरण किया । इसके अंतर्गत समिति ने ‘लव जिहाद’ ग्रंथ प्रकाशित किया।

‘लव जिहाद’ की भांति ही समिति ने ‘हलाल जिहाद’ की भयावह स्थिति उजागर की । हलाल की संकल्पना केवल मांस तक सीमित नहीं है, अपितु खाद्य पदार्थाें और नित्य जीवन के उपयोग में आनेवाली अनेक वस्तुएं आज हलाल प्रमाणित हो रही हैं । हलाल प्रमाणपत्र के माध्यम से सामान्य लोगों का पैसा जिहादी विचारधारा वाले संगठनों के हाथ में जा रहा है तथा हलाल जिहाद भारतीय अर्थव्यवस्था पर आक्रमण सिद्ध हो रहा है । इस विषय पर समिति ने आज के समय में आंदोलन आरंभ किया है तथा इस विषय पर ग्रंथ भी प्रकाशित किया है । समिति के आंदोलन के कारण लव जिहाद की भांति हलाल जिहाद का भी सरकार के द्वारा संज्ञान लिया जाएगा और अंततः हलाल प्रमाणपत्र व्यवस्था बंद की जाएगी, यह आशा है।

5. हिन्दूसंगठन : ‘संघे शक्तिः कलियुगे’ अर्थात कलियुग में संगठन ही शक्ति है । जाति, दल एवं संप्रदाय रहित हिन्दुओं का विशाल संगठन खडा रहे; इसके लिए समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर महानगरों तक 2 सहस्र से भी अधिक हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं ली हैं । ये सभाएं राजनीतिक लालच देने वाली नहीं थीं, अपितु हिन्दुओं को धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा करने के लिए प्रेरित करनेवाली थीं । इन सभाओं के फलस्वरूप सहस्रों युवक धर्म कार्य से जुड गए हैं । इन सभाओं के माध्यम से क्रियाशील होने वाले सैकडों धर्म प्रेमी आज समिति की ओर से प्रति सप्ताह लिए जाने वाले धर्म शिक्षा वर्गाें में उपस्थित होकर ‘धर्म क्या बताता है ?’, इसकी जानकारी ले रहे हैं । आज 11 राज्यों में 325 से अधिक धर्म शिक्षा वर्ग लिए जा रहे हैं।

गोवा में हिन्दू राष्ट्र अधिवेशनों का सफलतापूर्वक आयोजन कर समिति हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन खडा करने का कार्य कर रही है । पूरे देश के लगभग 250 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के नेता, कार्यकर्ता और अधिवक्ता इस अधिवेशन के माध्यम से धर्मकार्य की दिशा सुनिश्चित कर कालबद्ध पद्धति से प्रयास कर रहे हैं । यह अधिवेशन तो हिन्दू राष्ट्र का सुर (आवाज) बुलंद करनेवाला एक व्यासपीठ बन चुका है।

6. मानबिंदुओं का सम्मान : समिति के अभियान के कारण प्लास्टिक से बनाए जाने वाले राष्ट्रध्वजों पर प्रतिबंध लगकर राष्ट्रध्वज का सम्मान रखने के अभियान को सफलता मिली । समिति ने विद्यालयीन पाठ्यक्रमों के माध्यम से विदेशी आक्रांताओं का महिमामंडन करने के विरुद्ध भी आंदोलन चलाया । इसके फलस्वरूप गोवा के एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में केवल 5 पंक्तियों में छत्रपति शिवाजी महाराज का पढाया जानेवाला इतिहास अब 5 पृष्ठों (पन्नों) का हो गया है । इसके अतिरिक्त समिति गढ-किलों पर किए गए अतिक्रमणों के विरुद्ध भी क्रियाशील है । विशालगढ, सिंहगढ, लोहगढ, पारोळा आदि अनेक गढ-किलों का संवर्धन तथा उन पर किए गए अतिक्रमणों को हटाने के संबंध में समिति ने लडाई आरंभ की है । अब सरकार से भी इसका संज्ञान लिया गया है तथा सरकार ने इन अतिक्रमणों को हटाने की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

7. संस्कृति रक्षा एवं पर्यावरण की रक्षा : संस्कृति रक्षा के दृष्टिकोण से समिति ने ‘डे’ संस्कृति विरोधी ‘सनबर्न’ जैसे कार्यक्रमों का विरोध कर हिन्दू त्योहारों का अध्यात्म और शास्त्र लोगों तक पहुंचाया। पर्यावरण की रक्षा की दृष्टि से विगत 15 वर्षाें से पुणे जिले में रंगपंचमी एवं धूलिवंदन के दिन ‘खडकवासला जलाशय रक्षा अभियान’ 100 प्रतिशत सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।

सोशल मीडिया, यू-ट्यूब, ट्वीटर, साथ ही Hindujagruti.org जालस्थल के माध्यम से भी समिति का कार्य बडे स्तर पर चल रहा है । भारत में धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो; इसके लिए ‘सामर्थ्य है आंदोलन का...’ इस वचन के अनुसार आध्यात्मिक अधिष्ठान रखकर समिति कार्यरत है । आप भी समिति के कार्य में यथाशक्ति सम्मिलित होकर हिन्दू राष्ट्र के लिए आपके तन-मन-धन-बुद्धि एवं कौशल का योगदान दीजिए!

Responses

Leave your comment