हिन्दुराष्ट्र अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठों ने लिया हिन्दू राष्ट्र के लिए कार्य करने का संकल्प!

वैन (करनाल - हरियाणा ब्यूरो - 18.04.2022) :: आज संपन्न हुए अधिवेशन में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ.चारुदत्त पिंगले जी ने हिन्दुराष्ट्र की स्थापना की आवश्यकता क्यों है इस विषय में मार्गदर्शन करते हुए बताया कि अंग्रेजो ने भारत में आने के बाद हमारे धर्मशास्त्र के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगाकर बुद्धि को भ्रमित करने का प्रयास किया और उसका आज परिणाम है कि आज हमारा संघर्ष इस्लाम या ईसाईयत से नहीं है, हमारा संघर्ष नास्तिक, धर्मविरोधी और सेक्युलर वामपंथी हिन्दुओ से है।

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ऐसे बताया जाता है परंतु यह विफल लोकतंत्र है। संविधान में राष्ट्रीय स्तर पर समान नागरिक कानून और धर्मांतरण पर पाबंदी का कानून बनाया जाए ऐसा बताया गया है , परंतु पिछले 70 वर्ष में भी ये कानून नहीं बने | भारत में हिन्दू बहुसंख्यक है इसलिए हिन्दुओ ने चुप रहना चाहिए ऐसे बताया जाता है, कश्मीर में हिन्दू अल्पसंख्यक है इसलिए हिन्दुओ को दबाया जाता है, पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक है वहाँ पर भी हिन्दुओ को दबाया जाता है आज वहां पर हिन्दू 11% से 2% हो गए क्यूंकि वह इस्लामिक राष्ट्र है | यानी हिन्दू बहुसंख्यक रहे या अल्पसंख्यक किसी भी परिस्थिती में हिन्दुओ ने अधिकार की बात नहीं करनी है, चुप रहना है, ऐसे बताया जाता है। भारत में हिन्दुराष्ट्र नहीं है, सेकुलर राष्ट्र है तो 'अल्पसंख्यक' यह अवधारणा ही गलत है। झूठे लोकतंत्र मे षड्यंत्र करके हिन्दुओ को मूर्ख बनाया जा रहा है।

सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगले जी, ऋषिपाल शास्त्री जी और सुभाष शर्मा जी के करकमलो से दीप प्रज्वलन कर अधिवेशन का प्रारंभ हुआ।

ऋषिपाल शास्त्री, विश्व हिन्दू परिषद् के प्रांत संगठन मंत्री इन्होने उपस्थितों को मार्गदर्शन करते हुए बताया की मुगलों ने हमारे मंदिरों का विध्वंस किया, अंग्रेजो के समय में सरकार ने अधिग्रहण शुरू किया और आज भी यह सिस्टम शुरू है, हिन्दुस्थान का एक भी ऐसा राज्य नहीं जहां पर मंदिरों का अधिग्रहण सरकारों ने नहीं किया हो | हरियाणा में सात बड़े मंदिरों का अधिग्रहण किया है | उत्तराखंड में संत समाज और पुजारियों के लगातार आन्दोलन करने के कारण समाज के अन्दर जागरण हुआ और सरकार के दबाव के कारण मंदिर सरकारी अधिग्रहण से मुक्त हुए | विश्व हिन्दू परिषद् का बिलकुल स्पष्ट मत है, कि किसी भी परिस्थिती में मंदिरों का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए , किसी की भी सरकार हो, जितने भी मंदिर हैं वे संत और समाज के प्रतिष्ठित बुध्दिजीवियों के हाथ में दे देना चाहिए।

सारस्वत ब्राह्मण सभा के प्रधान श्री सुभाष शर्मा ने बताया की आज हिन्दू समाज को जातियों के आधार पर विभक्त करने का प्रयास किया जा रहा है, सारे हिन्दू समाज को देशभक्ति की सचेतना से जोड़ना चाहिए, अन्य पंथियों में भी हिन्दुराष्ट्र के बारे उनके मन में जो शंकाए है वह निकालकर उनमे भी हिन्दुराष्ट्र के स्वीकार्यता निर्माण हो इसके लिए भी हमे प्रयास करने होंगे।

इस समय परात्पर गुरु डॉ आठवले जी का सन्देश वाचन किया गया । अधिवेशन का उद्देश्य श्री नरेंद्र सुर्वे ने बताया। कार्यक्रम का संचालन कार्तिक सालुंके जी ने किया । अधिवेशन में हिन्दुओं को धर्मशिक्षा और राष्ट्र प्रेम निर्माण करने वाली फ्लेक्स प्रदर्शनी लगाई गई जिसे देख कर धर्म प्रेमियों में एक उत्साह निर्माण हुआ। इसके अतिरिक्त सनातन की ग्रन्थ प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। इस कार्यक्रम में करनाल और पानीपत से अनेक हिन्दुत्वादी संगठन के कार्यकर्ता और प्रमुख ,गौरक्षक, पुरोहित, सामाजिक कार्यकर्ता और मंदिर के ट्रस्टी उपस्थित थे।

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