पतित-पावनी गंगा; कहा जाता है कि राजा भागीरथ के साठ हजार पुत्र थे

बूंद-बूंद संगृहीत कर अपना, वजूद से बड़ा बनाती हैं;
आगे बढ़ना ही जीवन है, नदियां में हमें सीखाती हैं।

वैन (मीना कुमारी 'परिहार' - पटना, बिहार) :: गंगा नदी बहुत ही पवित्र नदी है और हिन्दू धर्म में इसे देवी के रूप में पूजा जाता है। यह भारतीयों के जीवन-चक्र पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भारत की सबसे लम्बी नदी है और दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक भी है।

भारत में इसका सबसे बड़ा नदी-बेसिन है जो लगभग 8,38,200 वर्ग किमी में फैला है। यह एक पूर्ण नदी है जो हिमालय से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी क‌ई सहायक नदियां हैं जैसे-घाघरा, यमुना, रामगंगा, आदि भागीरथी-हुगली और पद्मा इसके दौ वितरक हैं।

गंगा नदी भारत की राष्ट्रीय नदी भी है। इसे दुनियां के अन्य देशों में गंगा के रूप में जाना जाता है। ‌इसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों महत्त्व है।

गंगा नदी को भागीरथी कहा जाता है।इस नदी को यह नाम राजा भागीरथ के नाम पर पड़ा है। भारत देश में इस नदी को "गंगा मैया" नाम से जाना जाता है। गंगा नदी को मंदाकिनी, देवनदी, भागीरथी इत्यादि उपनामों से जाना जाता है।

कहा जाता है कि राजा भागीरथ के साठ हजार पुत्र थे।शापवश उनके सभी पुत्र भस्म हो ग‌ए थे। तब राजा ने कठोर तपस्या की, इसके फलस्वरूप गंगा शिवजी की जटा से निकलकर देवभूमि भारत में अवतरित हुई। इससे भागीरथ के साठ हजार पुत्रों का उद्धार हुआ।तब से लेकर गंगा अब तक न जाने कितने पापियों कि उद्धार कर चुकी है।

गंगा नदी बांग्लादेश और भारत दोनों से होकर बहती है। इसकी लंबाई लगभग 2525किमी है और इसका मुंह गंगि डेल्टा है। इसके बहुत सारे स्त्रोत हैं और उनमें से कुछ ग्लेशियर हैं, जिनमें सतोपंथ ग्लेशियर भी शामिल हैं। नदी का उपरी हिस्सा अपने स्रोत से हरिद्वार तक फैला है।

गंगा नदी को सबसे पवित्र माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है की गंगा नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं।इस नदी के पानी की पवित्रता के कारण हर शुभ कार्य में इसका उपयोग किया जाता है। गंगा जल कभी भी दूषित नहीं होता है। इस गंगाजल का उपयोग पूजा-पाठ में किया जाता है। गंगा नदी का जल बोतल में रखने से कीटाणु नहीं पनपते हैं।यह इस गंगा नदी की विशेषता है। गंगा नदी को भारतीयों की 'जीवनदायिनी'कहा गया है।

अपने ही पथ पर अडिग रही पल-पल, बस तू आगे बढ़ती जाती है;
कल-कल करती तेरी धारा, जौहर अपना दिखलाती है।

Responses

Leave your comment