मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में बहुत से नाटकों का मंचन होता रहा है। अधिकतर नाटक
मैक के ओपन एअर थियेटर तथा भरतमुनि रंगषाला में हुए हैं। किंतु पहली बार ऐसा
रहा कि मैक के ओपन स्पेस में नाटक का मंचन हुआ। जहां कलाकारों का मंच दर्षक
दीर्घा से चारगुना बड़ा था। मैक में पिछले कुछ दिनों से रंगआधार संस्था जींद के
निर्देषक अमर कुनाल द्वारा नाटक निर्देषन पर कार्यषाला लगाई जा रही थी, जिसमें
विभिन्न कलाकार निर्देषन की बारीकियां सीख रहे थे। कार्यषाला में कलाकारों ने
षेक्सपीअर के नाटक रोमियो और जुलियट पर कार्य किया और उसकी स्पेस थियेटर के
तहत प्रस्तुति तैयार की। मैक में चल रहे तीन दिवसीय नाट्य उत्सव की दूसरी षाम
में रंगआधार के कलाकारों ने रोमियो और जुलियट का मंचन किया। नाटक मैक के लान
में हुआ। जहंा दर्षकों ने सीढ़ीयों पर बैठकर नाटक का आनंद लिया। नाटक में
कलाकारों दिखाए जा रहे दृष्य सभी को तालियां बजाने पर मजबूर कर रहे थे। नाटक
की कहानी दो गूटों में हुई रंजिष के कारण रोमियो जुलियट के प्रेम में आई
परेषानियों को कहती है। एक जैसी वेषभूशा में जब कलाकारों ने नाटक प्रारम्भ
किया तो दर्षकों का रुझान बनने लगा। नाटक की कहानी आगे बढ़ती गई और कलाकारों के
अभिनय, दृष्य परिकल्पना से नाटक और रोमांचित होता गया। रस्सी के माध्यम से
रोमियों का मैक की दूसरी मंजिल से कूदना वास्तव में अचम्भित करने वाला था।
वहीं दो गुटो की लड़ाई को भी कलाकारों ने बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया।
रोमियो जुलियट की षादी का दृष्य, रोमियो का छिपना, आदि कईं ऐसे दृष्य रहे जो
लोगों की वाहवाही बटोरने में कामयाब रहे। इसके अतिरिक्त नाटक के अंतिम दृष्य
में पूरे मंच को कब्रिस्तान में तबदील कलाकारों ने लोगों को खड़े होकर तालियां
बजाने को मजबूर कर दिया। वास्तव में अमर कुनाल द्वारा सिखाए गए गुरों को
कलाकारों ने बखूबी प्रस्तुत किया। गौरतलब है कि अमर कुनाल वर्श 2013 में षहर
के न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप से जुड़े थे और हाय रे लैला, संध्या छाया, खबरदार
जैसे नाटकों में अभिनय करने उपरांत पटियाला विष्वविद्यालय से रंगमंच में पढाई
की। इसके बाद अमर ने द डार्क वायसिस तथा मरणोपरांत जैसे नाटकों का मंचन कर
वाहवाही बटौरी। अमर कुनाल का मानना है कि रंगमंच में बहुत सी सम्भावनाएं रहती
हैं इसलिए रंगकर्मियों को समय≤ पर नई तकनीक का प्रयोग करते रहना चाहिए। नाटक
में अभिनय करने वाले कलाकारों में दीपक जांगड़ा, महक मन्नू, सुग्रीव मैहरा,
साहिल खान, आश्रय षर्मा, चंचल, नितिन गम्भीर, अनूप कुमार, नितिन, आकाष, साहिल
मैहला, कुलविंद्र षामिल रहे। प्रकाष व्यवस्था मनीश डोगरा ने सम्भाली। नाटक के
अंत में मैक के क्षेत्रीय निदेषक संजय भसीन ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया।
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