श्रीकृष्ण प्रणामी आश्रम में गुरु नानक जयंती की पूर्व संध्या पर कार्यक्रम आयोजित

वैन (भिवानी - हरियाणा ब्यूरो - 18.11.2021) :: समाजसेवी सुरेंद्र कुमार सभरवाल ने गुरु नानक जयंती श्रीकृष्ण प्रणामी आश्रम के अपना घर में रह रहे प्रभु जनों के बीच मनाई। इस दौरान उन्होंने यहां रह रहे 85 पुरुषों और 37 महिला प्रभु जनों को प्रसाद वितरित किया। इससे पहले उन्होंने गुरु नानक देवजी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको याद किया और उनके बताए पद चिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।

सुरेंद्र सभरवाल ने कहा गुरु नानक देव ने हमेशा एकता, भाईचारा और जातिवाद को मिटाने के उपदेश दिए। गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का उपदेश दिया। इसका मतलब है कि ईश्वर एक है। वो हर जगह विद्यमान हैं। गुरु नानक देव कहते हैं कि सबके साथ प्रेम और सम्मान के साथ रहना चाहिए।

गुरु नानक देवजी ने कहा है अहंकार, क्रोध , लोभ , मोह और वासना (काम), जब कोई इन पांच बुराइयों से छुटकारा पा लेता है तो वह भगवान के करीब हो जाता है।

गुरु नानक देवजी ने कभी भी जाति, धर्म, नस्ल, रंग या आर्थिक स्थिति के आधार पर इंसानों में भेद नहीं किया। उन्होंने आसानी से अपना भोजन और सामान जरूरतमंदों के साथ साझा किया। कोई भी जरूरतमंद इंसान कभी भी गुरु नानकजी के घर से खाली हाथ नहीं गया। इसलिए हर किसी को उसका अधिकार सम्मानपूर्वक देना चाहिए। गरीब और जरूरतमंदों की हर संभव मदद करनी चाहिए। उन्होंने समाज को संदेश दिया, महिलाओं का सम्मान करें। हम आधुनिक समय में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को ध्यान में रखते हुए गुरु नानक की शिक्षाओं को भूल गए हैं। उन्होंने अपने एक श्लोक में भी इस सिद्धांत का उल्लेख किया है। महिलाओं का आदर-सम्मान करना चाहिए। उन्होंने स्त्री और पुरुष में किसी प्रकार के भेद को नहीं माना। सुरेंद्र सभरवाल ने कहा गुरु नानकजी के अनुसार, सेवा असीम आध्यात्मिक संतुष्टि का स्रोत है। जब कोई लाभ कमाने के उद्देश्य के बिना सेवा में लिप्त होता है, तो वह अपने उच्च अस्तित्व के साथ जुड़ जाता है और मानसिक शांति प्राप्त करता है। हमारा और आप सब का भी यही प्रयास रहना चाहिए कि निस्वार्थ भाव से सेवा करे।इस अवसर पर शशि बालीओमप्रकाश, पंकज गुप्ता, कालिदास ,हाकम राय सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

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