विश्व शांति के लिये 108 सुलगते धूणों के बीच बाबा कर रहे भीषण गर्मी में घोर तपस्या

वैन (भिवानी ब्यूरो - हरियाणा) :: एक तरफ जहां पूरा उतर भारत मई-जून माह की झुलसा देने वाली धूप से झूलस रहा है और हर कोई ठण्डे पेय पदार्थो का सहारा लेकर छांव देख रहा है वहीं एक बाबा चारों ओर उपलों (गोबर के कंडे) की गर्मी और उनसे उठते हुए धुएं के बीच विश्व शांति के लिये तपस्या में लीन हैं। उपलों के एक सौ आठ धूणों के बीच बैठकर यह बाबा तपस्या में लीन हैं। जिनका मकसद सिर्फ और सिर्फ विश्व शांति बनाये रखना है।

बाबा वशिष्ठ गिरी जी महाराज, जिन्होनें हरियाणा के भिवानी स्थित गांव धिराणा कलां के मदिंर में बाबा जमादार जी के डेरे में विश्व शांति के लिए तपस्या शुरू हो गई है। यह तपस्या 13 मई से शुरू होकर 22 जून को भण्डारे के साथ समंपन होगी। मदिंर के पुजारी दिनेश वशिष्ठ ने बताया कि वशिष्ठ गिरी जी महाराज की यह नौवीं तपस्या है। इन्होनें पहली तपस्या जिला कैथल के गांव रहेड़ी में की थी, उसके बाद सोरखी, जाटू लोहारी, मंडाणा औंर अब 13 मई से यहां सिर्फ विश्व शांति के लिये तप रहे हैं। सुबह बारह बजे से दोपहर दो बजे तक बाबा 108 धूणों की बीच अग्नि तपस्या में बैठ कर भगवान के नाम का सिमरण करते हैं। उनका मानना है कि गांव में करीब साढ़े तीन सौ साल पुराना मंदिर है जिसकी मान्यता दूर-दूर तक है। जो भी कोई यहां सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मुराद बाबा जरूर पूरी करते हैं। अगर किसी की नौकरी लगती है या कोई बच्चा पास होता है तो बाबा के मंदिर में प्रसाद चढ़ाने की सदियों से परम्परा है। आस-पास के गांव धिराना, हालुवास, देवसर, प्रहलादगढ़, राजगढ़, नीमड़ीवाली सहित दूर-दूर के लोगों की इस मंदिर के प्रति मान्यता है।

भक्तों के अनुसार जहां आम लोग इस तपती धूप में दो मिनट भी खड़े नहीं हो सकते वहीं बाबा वशिष्ठ गिरी जी महाराज की यह 41 दिनों की तपस्या काफी कठोर है। गांव की महिलांए मंगल-गीत गाने मंदिर आती हैं और तीन से चार घटें तक मंदिर में तपस्या स्थल की परीक्रमा कर जयकारों के नारे भी लगाती हैं। इस अवसर पर गांव के पूर्व संरपच मानसिंह, सियाराम शास्त्री, नत्थुराम, हनुमान प्रसाद, विजय प्रधान, कुलदीप सिंह, भीष्म दयाल, रविन्द्र ठाकुर, पवन भानजा, गुलाब सिंह भी वहां मौजूद रहे।
सौजन्य से - किशन सिंह, भिवानी, हरियाणा

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