रात दो बजे बिना महिला पुलिसकर्मियों के घर में घुसे दिल्‍ली पुलिस के पीसीआर पुरूष कर्मचारी, महिलाओं से की बदतमीज़ी और डीजे बता उठा ले गये 1000 वॉट का छोटा होम थियेटर

दिल्ली ब्यूरो (पूर्वी दिल्‍ली) :: आप भी हो जाइये सावधान क्‍योंकि दिल्‍ली पुलिस के पीसीआर कर्मचारी अब बिना किसी डर के आपके घर में भी रात के किसी भी वक्‍त धावा बोल सकते हैं, फिर चाहे आपके घर में उस वक्‍त महिलायें, बच्‍चे या बुजु़र्ग कोई भी हो, उन्‍हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

जी हां, हम बात कर रहे हैं 31 दिसंबर की रात और 1 जनवरी सुबह लगभग दो बजे की जब पूरा देश कोविड महामारी के कारण घरों से बाहर ना निकल पाने के कारण अपने-अपने घरों में नये साल के जश्‍न में डूबा था। उसी रात उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली के सीमापुरी थाना क्षेत्र में दिलशाद गार्डन स्थित एस जी पॉकेट में पीसीआर नम्‍बर डी एल 1 सी ए सी 1880, हैड कॉंस्‍टेबल रमन की अगुवाई में पहुंची और एक घर में उन्‍होंने दस्‍तक दी। चौथी मंजिल पर स्थित एक फ्लैट में रह रहा परिवार उस वक्‍त अपने घर में परिवार वालों के साथ मिलकर घर के अन्‍दर छोटा डैक बजाकर नाच-गा रहा था। तभी वहां पहुंचे दिल्‍ली पुलिस के पीसीआर कर्मी रमन ने पहले तो नीचे से उस परिवार को धमकाया और कहा कि सभी थाने चलो। जब उस परिवार ने नहीं सुनी तो वह अपने एक और पुरूष साथी के साथ उपर गये और घर का दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खटखटाने पर जब घर के अन्‍दर से गेट पर आई महिला ने गेट खोला तो पहले तो रमन और उसके सा‍थी कर्मचारी ने उस महिला को धक्‍का दिया और सीधे बिना कुछ कहे घर में प्रवेश कर गये। घर में प्रवेश कर उन्‍होंने किसी को बिना कुछ कहे घर के अन्‍दर चल रहे लगभग 1000 वॉट के डैक को पहले डिसकनैक्‍ट किया और फिर उसको उठा कर पीसीआर की तरफ नीचे बढ़ने लगे। तभी घर की 3-4 महिलाओं ने उनसे पूछा कि आप इसे क्‍यों ले जा रहे हैं। इस पर उन्‍होंने उन महिलाओं से बदतमीजी से बात की और जब वह महिलायें बोली कि हम आपको इसे नहीं ले जाने देंगे तो उन दोनों पुलिसकर्मियों ने उन्‍हें धक्‍का मार अपना रूख नीचे की ओर किया। इस पर महिलायें और घर के अन्‍य पुरूष सदस्‍य उनके पीछे-पीछे नीचे आ गये और उनसे पूछा कि आप रात में 2 बजे के वक्‍त घर के अन्‍दर घुस डैक उठा कर ले जा रहे हैं आपके साथ कोई भी महिला पुलिसकर्मी नहीं हैं, एैसा क्‍यों। तो उनका जवाब था कि हम ही महिला और पुरूष दोनों की ड्यूटी करते हैं और हमें उनकी जरूरत नहीं है। यह कह वह घर के छोटे से डैक को डीजे बता अपनी गाड़ी में डाल चलते बने।

इस तरह से रात के समय घर में घुसकर वर्दी वालों की गुंडागर्दी की खबरें राजधानी में वैसे तो आम बात है लेकिन सवाल उठाना भी लाज़मी है कि आखिर पुलिस वालों की यह गुंडागर्दी आखिर कब तक राजधानी में पनपती रहेगी? क्‍या कोई सुनेगा एैसी गुंडागर्दी की आवाज़ या फिर कोई दिखा पायेगा दम इन वर्दी वाले गुंडों के खिलाफ आवाज़ उठाने का? उत्‍तर हां में मिला है क्‍योंकि इस परिवार ने आज दिखाया है दम और उठाई है आवाज़ इन वर्दी वाले गुंडों के खिलाफ, जो हमेशा अपनी मनमानी के लिये जाने जाते हैं और कोई इन्‍हें कुछ कह दे तो इनकी गुंडागर्दी हाथापाई और धक्‍कामुक्‍की तक पहुंच जाती है। कई मौके तो एैसे भी पाये जाते हैं जब यह वर्दी पहने वर्दी वाले गुंडे बिना किसी बात पर एैसे परिवार वालों के खिलाफ झूठे मुकदमें दे उन्‍हें फसाने की पूरी कोशिश करते भी दिखाई देते हैं और पोल खुल जाने पर घुटनों पर आ जाते हैं।

अब यह भी भविष्‍य के गर्भ में है कि क्‍या इस परिवार को इंसाफ दिलायेंगे दिल्‍ली पुलिस के आला अधिकारी या फिर से दबा दी जायेगी इनकी भी आवाज़ किसी अन्‍य मुकदमें में फंसा कर?

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