वैलेंटाईन डे की पश्चिमी कुप्रथा छोडें !

~ हिंदुओ, ब्रिटिशों का जूठा खाने की अपेक्षा महान हिंदु संस्कृति का आदर्श सामने रखकर उसका पालन करें ! - हिन्दू जनजागृति समिति

दिल्ली ब्यूरो :: हमारे पूर्वजों ने मकरसंक्रांति, होली, गुढीपाडवा, गणेशोत्सव तथा दीपावली के समान विशेषतापूर्ण त्योहार किस प्रकार मनाए जाते हैं, यह सिखाया है; किंतु हम 1 जनवरी को नववर्षारंभ, प्रेमिकाओं का दिन (‘वेलेंटाईन डे’), ‘मदर्स-डे’, ‘चॉकलेट डे’ इस प्रकार के अनेक विकृत ‘डे’ मनाते हैं । इन विभिन्न ‘डे’ द्वारा वासना, कामांधता, विकृति, अश्लीलता एवं अनैतिकता का दर्शन होता है । ये सभी सुख क्षणिक हैं । इस प्रकार का अधर्माचरण करने से चरित्र का हनन होता है; भोगवाद/विलासवाद फैलता है, कामांधता बढती है तथा अनाचारों की मात्रा बढती है ।

प्रेमियों का दिन मनाने वाली वर्तमान की युवापीढी

युवक-युवतियां एकत्रित आकर 14 फरवरी का दिन प्रेमियों का दिन मनाते हैं । इस दिन वे एक-दूसरे को भेंटवस्तु तथा फूल अथवा ‘पार्टी’ देकर प्रेम व्यक्त करते हैं । वैलेंटाईन डे मनाना, पश्‍चिमी संस्कृति की अनैतिकता का अनुसरण व हिन्दू संस्कृति का अनादर है । आर्थिक लाभ हेतु प्रसार माध्यम / शुभकामना पत्र-निर्माता इसका प्रसार करते हैं । इससे हिन्दुओं के एक दिन के राष्ट्रांतरण एवं धर्मांतरण को प्रोत्साहन मिलता है ।

अभिभावकों के उचित-अनुचित पद्धति का आचरण करने वाले बालक

यदि आपने प्रेमियों का दिन 26 वें वर्ष में मनाया होगा, तो आपके बच्चे 16वें वर्ष में ही वह मनाएंगे । यदि हममें अनैतिकता की मात्रा 40 प्रतिशत होती है, तो बालकों में वह 70 प्रतिशत होती हुई दिखाई देगी । ध्यान में रखें कि आपके बालक आपकी अपेक्षा सभी बातों में आगे बढ रहे हैं । यदि आप धर्माचरण कर रहे हैं, तो आपके बालक भी आपसे आगे बढकर धर्माचरण करेंगे । यदि आप अनैतिकता का आचरण करेंगे, तो भविष्य की पीढी भी अनैतिक होगी ।

देश के लिए क्रांतिकारियों द्वारा किए गए त्याग का स्मरण करें

हमारे क्रांतिकारियों ने देश को स्वतंत्रता प्राप्त होने के लिए अत्यंत परिश्रम किए । क्रांतिकारी देश के लिए फांसी पर चढ गए, अपने घरों का त्याग किया, उस समय छोटे-छोटे बालक भी पथपर उतरे । क्या उन्होंने यह त्याग इस हेतु ही किया था कि हम अनैतिकता का आचरण करें ?

हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ब्रिटिशों ने जब देश में अनैतिकता फैलाना प्रारंभ किया, उस समय हमारी संस्कृति पर होने वाले तीव्र अन्याय का भान होकर लडाई करने के लिए क्रांतिकारी उनके विरोध में रास्ते पर उतरे । कुछ क्रांतिकारियों के प्राणत्याग करने के पश्चात ही भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई है ।

भारतीय संस्कृति विश्व की एकमात्र महान संस्कृति होने के कारण उसकी रक्षा करने के लिए ही हमारे पूर्वजों ने त्योहार मनाना आरंभ किया तथा उसमें भी ब्रिटिशों द्वारा अडचनें उत्पन्न करने के कारण क्रांतिकारियों ने एकत्रित आकर आंदोलन किया ।

क्रांतिकारयों ने भारत देश स्वतंत्र करने के पीछे विशिष्ट उद्देश्य रखा था । हम हमारे देश में प्राचीन कालावधि से जो भी त्योहार-उत्सव मनाते आए हैं, वे उसी पद्धति से मनाए जाने चाहिए । त्योहार के दिन परिवार के सर्व सदस्य एकत्रित आने के पश्चात देश तथा धर्म के संदर्भ में बातचीत होती थी । उनमें से ही देशप्रेम जागृत होकर पारिवारिक संबंध जतन किए जाते थे । क्रांतिकारियों को इस बात का पता था कि हमारी संस्कृति विश्व की एकमात्र महान संस्कृति है । उसका जतन करने हेतु हमारे पूर्वज त्योहार मनाते थे, साथ ही धर्माचरण भी करते थे । ब्रिटिशों द्वारा उसमें अडचनें उत्पन्न करना आरंभ करते ही क्रांतिकारियों ने एकत्रित आकर ब्रिटिशों के विरोध में आंदोलन किया।

भारतीय संस्कृति, क्रांतिकारियों का त्याग, साथ ही माता-पिता द्वारा किया गया पालन पोषण का विस्मरण कर प्रेमियों का दिन मनाना अर्थात मानसिक विकृति का प्रदर्शन करना

ये प्रेमियों का दिन हमारे मन एवं बुद्धि पर कौन सी संस्कृति अंकित करता है ? इससे आपके सामने कौन सा आदर्श स्थापित होता है ? इसका उत्तर आपके पास है; किंतु उसका उत्तर देने में लज्जा आती है । प्रेमियों का दिन अर्थात एक-दूसरे के अतिरिक्त अन्य कोई भी नहीं । वही सर्वस्व, उसके लिए ही जन्म मिला है, ऐसे मूढ भ्रम में रहने वाले प्रेमी उस दिन मिलते हैं । प्रेमियों का दिन मनाना, अर्थात इसे मूर्खता की परमावधि ही कहना पडेगा । ईश्वरने क्यों हमारी सृष्टि की है ? भारत की संस्कृति, क्रांतिकारियों का त्याग, साथ ही माता-पिता द्वारा किया गया पालन पोषण, इस सभी का विस्मरण कर हम प्रेमियों का दिन मनाते हैं ।

चरमसीमा तक निर्ल्लज होने वाले हिंदु

14 फरवरी को हिंदु प्रेमी-प्रेमिका माता-पिता का विस्मरण कर उनके मन के विरूद्ध आचरण करते हैं । उस क्षणिक सुख के लिए आत्महत्या तक के लिए भी प्रवृत्त होते हैं । यदि आप वास्तव में हिंदुस्थान में जन्मे हैं अथवा आपके माता-पिता ने आपके बचपन में आप पर अच्छे संस्कार किए हैं तथा आपको चरित्रहीन होने से दूर रहना है, तो 14 फरवरी, यह दिन मनाना छोड दें तथा उसे मनाने वालों का प्रबोधन कर उन्हें इससे दूर करें, तो ही आपका जन्म सार्थक होगा।

वैलेंटाईन डे क्यों न मनाएं?

हिन्दुओं की विवाह संस्कृति संयमी व नैतिक प्रेमजीवन सिखाती है । इसीलिए भविष्य में राष्ट्र-धर्मप्रेमियों द्वारा स्थापित होने वाले धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र में यह भोगवादी डे प्रथा नहीं रहेगी ।

वैलेंटाईन डे का भयावह स्वरूप

विश्‍व में वैलेंटाईन डे के दिनों में, न्यायालय में प्रविष्ट होने वाले विवाह-विच्छेद के अभियोगों में 40 प्रतिशत वृद्धि होती हैं ! – एक निजी प्रतिष्ठान (कंपनी), अमरीका

भेंटवस्तुएं अधिक मात्रा में खरीदी जाने के कारण भारतीयों के 22 सहस्र करोड रुपयों से भी अधिक राशि लुट जाती है । – असोचेम उद्योग क्षेत्र का एक संगठन

भारत में अनुमानतः 15 सहस्र करोड शुभकामना-पत्रों (ग्रीटिंग कार्ड) की ब्रिक्री होती है।

देहली के एक मेडिकल स्टोर के स्वामी ने बताया, वर्ष 2014 में, 10 फरवरी से ही निरोध व गर्भनिरोधक दवाइयों की मांग में 10 गुना की वृद्धि हुई थी; जिससे अनेक स्टोर्स में यह सामान समाप्त हो गया था । वर्ष 2013 में ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल स्नैपडील डॉट कॉम पर भारत में वैलेंटाईन डे पर एक ही दिन में डेढ लाख निरोध बिके। निरोध की एक कंपनी के सर्वेक्षणानुसार, वैलेंटाईन डे के दिनों में निरोध की बिक्री 25 गुना बढती है!

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