मशहूर गायक नरेंद्र चंचल का दिल्ली में लम्बी बीमारी के बाद निधन

माता जिनको याद करे, वो लोग निराले होते हैं। माता जिनका नाम पुकारे, किस्मत वाले होतें हैं।।

चलो भुलावा आया है, माता ने बुलाया है, ऊँचे परवत पर रानी माँ ने दरबार लगाया है।।

सारे जग मे एक ठिकाना, सारे गम के मारो का, रास्ता देख रही है माता, अपने आख के तारों का।

मस्त हवाओं का एक झोखा यह संदेसा लाया है, जय माता की कहते जाओ, आने जाने वालो को।।

चलते जाओ तुम मत देखो अपने पो के छालों को, जिस ने जितना दरद सहा है, उतना चैन भी पाया है।।

वैन (दिल्ली ब्यूरो) :: शेरों वाली माता का यह भजन सुनते ही जो नाम दिल और दिमाग में उभर कर आता है वो है नरेन्द्र चंचल और इस भजन से जिसकी छवी दिल और दिमाग में उभर कर आती है वो है माता वैष्णोदेवी का दरबार।

जम्मू से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कटरा से माता वैष्णोदेवी की पैदल यात्रा शुरू करने पर जो पहला पड़ाव आता है उसको बाण गंगा के नाम से जाना जाता है और इसी बीच हर साल 31 दिसंबर को नरेंद्र चंचल हर साल यहां माता का जागरण किया करते थे जो भक्तों में बहुत मशहूर था। लेकिन अब शायद वह आवाज़ जिंदगी भर के लिए खामोश हो गई क्योंकि इस जागरण के जनक मशहूर भजन गायक नरेन्द्र चंचल परमधाम सिधार गए हैं। उनका आज (शुक्रवार को - 22/01/2022) दिल्ली के अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे थे और उनका दिल्ली के सरिता विहार में स्थित अपोलो अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, शुक्रवार दोपहर करीब 12:30 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। अस्पताल प्रशासन ने जानकारी दी है कि नरेन्द्र चंचल 27 नवंबर से अपोलो अस्पताल में भर्ती थे। उनके ब्रेन में क्लोटिंग थी। शुक्रवार दोपहर उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन पर भजन गायकों के साथ-साथ मुंबई फिल्म इंडस्ड्री से जुड़े कलाकारों ने भी शौक व्यक्त किया है।

कई दशकों तक अपने माता के भजनों के जरिये लाखों लोगों को भक्तिमय दुनिया में ले जाने वाले नरेंद्र चंचल अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं। पंजाब के अमृतसर में 16 अक्टूबर, 1940 को जन्में नरेंद्र चंचल ने दिल्ली में आकर बस गये और यहीं के होकर रह गए, लेकिन उन्होंने देश के साथ विदेशोें में अपने भजनों और फ़िल्मी गानों के जरिये नाम कमाया।

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