देवशयनी एकादशी से राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेले का शुभारंभ; आस्था के समन्दर में सराबोर रहेगा गिरिराज धाम

वैन (जगदीश गोकुलिया, तहसील व्यूरो - गोवर्धन, मथुरा - 29.06.2023) :: गिरिराज धाम में देवशयनी एकादशी के साथ राजकीय मुड़िया पूर्णिमा मेला का शुभारंभ हो गया। आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा, मुड़िया पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 467 वां मुड़िया महोत्सव एकादशी से गुरुपूर्णिमा तक मनाया जाएगा। गोवर्धन महाराज की भक्ति बिखेरती भक्त सनातन की परंपरा की मुड़िया शोभायात्रा 3 जुलाई को निकाली जाएगी। सनातन परंपरा के प्रमुख संत मंदिर में एकत्र होकर सिर मुड़वाएंगे, उसके बाद मानसीगंगा में स्नान कर सनातन गोस्वामी के चित्रपट के साथ मानसीगंगा की परिक्रमा लगाएंगे।

धार्मिक मान्यता के अनुसार मुड़िया पूर्णिमा

आषाढ़ वदी पूर्णिमा को ही मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पश्चिम बंगाल के रामकेली गांव, जिला मालदा के रहने वाले सनातन गोस्वामी पश्चिम बंगाल के राजा हुसैन शाह के यहां मंत्री पद पर कार्य करते थे। चैतन्य महाप्रभु की भक्ति से प्रभावित होकर सनातन गोस्वामी उनसे मिलने वाराणसी आ गए। चैतन्य महाप्रभु की प्रेरणा से ब्रजवास कर भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे। ब्रज में विभिन्न स्थानों पर सनातन भजन करते थे। वृंदावन से रोजाना गिरिराज परिक्रमा करने गोवर्धन आते थे। यहां चकलेश्वर मंदिर के प्रांगण में बनी भजन कुटी उनकी साधना की गवाह है। मान्यता है कि सनातन जब वृद्ध हो गए, तो गिरिराज प्रभु ने उनको दर्शन देकर शिला ले जाकर परिक्रमा लगाने को कहा। महाप्रभु मंदिर के मुड़िया महंत गोपाल दास के अनुसार,वर्ष 1556 में सनातन गोस्वामी के गोलोक गमन हो जाने के बाद गौड़ीय संत एवं ब्रजजनों ने सिर मुड़वाकर उनके पार्थिव शरीर के साथ सात कोसीय परिक्रमा लगाई। तभी से गुरु पूर्णिमा को मुड़िया पूर्णिमा के नाम से जाना जाने लगा। आज भी सनातन गोस्वामी के तिरोभाव महोत्सव पर गौड़ीय संत व भक्त सिर मुड़वाकर मानसीगंगा की परिक्रमा कर प्राचीन परंपरा का निर्वहन करते हैं।

गुरुपूर्णिमा को निकलेंगी दो मुड़िया शोभायात्राएं

बदलते समय के परिदृश्य में गुरुपूर्णिमा को दो स्थानों से मुड़िया शोभायात्रा निकाली जाने लगी है। सुबह राधा श्याम सुंदर मंदिर के महंत रामकृष्ण दास के नेतृत्व में और शाम को महाप्रभु मंदिर के महंत गोपालदास के नेतृत्व में मुड़िया शोभा यात्रा निकाली जाएगी। दोनों शोभा यात्राओं में करीब पांच सौ संत सहभागिता करते हैं जिनका परिक्रमा मार्ग में भव्य स्वागत किया जाता है। ढोल मृदंग के साथ गौड़ीय परंपरा के विदेशी भक्त और महिला भक्त भी इस परंपरा में शामिल होते हैं। सभी भक्तगण शोभायात्रा के दर्शन कर पुण्यलाभ लेकर अपने आप को धन्य मानते हैं।

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