कंप्यूटर जैसे तेज दिमाग वाले वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व विलीन; भतीजे ने दी मुखाग्नि

वैन (आर एस प्रसाद - आरा, बिहार) :: भोजपुर जिले बसंतपुर गांव के रहने वाले, महान गणित का सूत्र पिरोने वाले, डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह अब दुनिया में नहीं रहे। रह गई हैं तो सिर्फ उनकी यादें।

डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह के पार्थिव शरीर को कंधे पर लेकर महुली घाट तक उनके क्षेत्र के निवासियों ने पहुंचाया, जहां साथ में प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे। शुक्रवार की दोपहर उनके भतीजे ने पार्थिव शरीर को मुखग्नि दी। इसी के साथ डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। अग्नि प्रज्वलित होते ही आस-पास मौजूद आम व खास लोगों की आंखे नम हो गई। कई तरफ से क्रंदन की आवाजें आने लगी। डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह के पूरे परिवार समेत हजारों लोग इस क्षण के गवाह बने।

उधर, आज भी महुली घाट पर दिवंगत वशिष्ठ नारायण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, जिलाधिकारी के. रोशन कुशवाहा और एसपी सुशील कुमार पहुंचे। उन्होंने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उसके बाद महुली घाट पर अंतिम संस्कार किया गया।

पहले गणित का अलग से सूत्र पिरोने वाले डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह की शव यात्रा गाजे-बाजे के साथ उनके दरवाजे से निकली। इस दौरान डॉक्टर वशिष्ठ नारायण सिंह अमर रहें और जब तक सूरज-चांद रहेगा; तब तक डॉक्टर वशिष्ठ तेरा नाम रहेगा के नारे साथ चल रहे हजारों-हजार लोग लगाते रहे। एक वशिष्ठ को कंधा देने के लिए आज हजारों हाथ उठ रहे थे।

भारत का नाम दुनिया में रोशन करने वाले और आइंस्टिन के सिद्धांत को चुनौती देने वाले वशिष्ठ नारायण सिंह जैसे विरले ही होते हैं; देखना दिलचस्प होगा कि इस श्रेणी में अगला नम्बर किसका होगा?

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