खाकी बनाम काले कोट पर किरण बेदी का बड़ा बयान; कहा दिल्ली पुलिस अपने रुख पर कायम रहे, नतीजा चाहे जो भी हो

- पहले भी वकील-पुलिस झड़प में दो महीने हड़ताल पर रहे थे वकील; नहीं हुआ था दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की अदालतों में दो महीने काम

- 1988 में पुलिस-वकील झड़प में वकील एसोसिएशंस ने किरण बेदी के निलंबन तथा गिरफ्तारी की मांग की थी, लेकिन तत्कालीन पुलिस आयुक्त वेद मारवाह ने मजबूती से उनका समर्थन किया और मांगों को नकार दिया था।

वैन ब्यूरो :: देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट परिसर में वकीलों और पुलिस के बीच हुए महायुद्ध के बाद कहा कि दिल्ली पुलिस अपने रुख पर कायम रहे; नतीजा चाहे जो भी हो। इसी सन्दर्भ में उन्होंने 1988 में हुए एक ऐसे ही मामले का भी जिक्र किया जिसमे एक वकील को हथकड़ी लगा कर कोर्ट में पेश गया था जो वकीलों को नागवारा गुजरा जब ऐसे ही एक वाक्ये ने जन्म लिया था।

1988 का मामला !!!

जनवरी का महीना था, दिल्ली पुलिस ने राजेश अग्निहोत्री वकील को गिरफ्तार किया था। सेंट स्टीफन कॉलेज के छात्रों ने उन्हें लेडीज कॉमन रूम से कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था। 16 जनवरी 1988 को पुलिस ने वकील अग्निहोत्री को हाथ में हथकड़ी लगाकर तीस हजारी अदालत में पेश किया तो वकीलों ने इसे गैरकानूनी बताते हुए प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने वकील को उसी दिन दोषमुक्त कर दिया और साथ ही पुलिस आयुक्त को दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वकील, पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अपनी मांग के समर्थन में 18 जनवरी से हड़ताल पर चले गए। इसके बाद पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने 20 जनवरी को संवाददाता सम्मेलन में पुलिस की कार्रवाई को न्यायोचित बताया और कथित चोर को दोषमुक्त करने के मजिस्ट्रेट के आदेश की आलोचना की। अगले दिन वकीलों के समूह ने तीस हजारी अदालत परिसर में ही स्थित बेदी के कार्यालय में उनसे मुलाकात करनी चाही तो उन पर लाठी चार्ज का आदेश दिया गया जिसमें कई वकील घायल हो गए।

इसके बाद अगले दो महीने के लिए वकीलों ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों में अदालतों में काम करना बंद कर दिया और बेदी के इस्तीफे की मांग की।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मामले की जांच के लिए न्यायाधीश डी पी वाधवा के नेतृत्व में दो सदस्यीय समिति गठित की जिसके बाद हड़ताल बंद की गई. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वकील को हथकड़ी लगाना गैरकानूनी था और उसने बेदी के तबादले की सिफारिश की।

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